Thought
समर्पण
इस पावन धरा पर विद्यमान रहस्य के क्रम में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के नियन्ता सर्वशक्तिमान महामानव के रूप में हमारे बीच सदैव आते रहे हैं अपना बलिदान और समर्पण पूर्ण आचरण खेल रूप में प्रदर्शित कर पथ प्रदर्शन भी करते रहे हैं कुछ के द्वारा पहचान भी लिये जाते रहे हैं उन परमेश्वर योगेश्वर श्री कृष्ण के अष्टमी तिथि पर प्राकट्य आगमन और आततायियों का उद्धार कर धर्मस्थापन की सुखानुभूति का स्मरण आज सभी भक्तजन करते हुए पुनः अपने प्रियतम को बुलाने हेतु सादर प्रार्थनीय आर्त स्वरों से पुकार……..